वृद्धि की परिभाषा एवं अवधारणा - Concept and Definition of Growth
वृद्धि मात्रात्मक परिवर्तनों आकार एवं संरचना में परिवर्तन का उल्लेख करती है| कोशिकाओं की गुणात्मक वृद्धि ही वृद्धि कहलाती है| जैसे ऊंचाई, भार, चौराई आदि की वृद्धि| हाथ पैर का बढ़ना, बालों का बढ़ना आदि भी वृद्धि ( Growth ) कहलाती है| सामान्यत: व्यक्ति के स्वभाविक विकास को वृद्धि कहते हैं| मानव अभिवृद्धि की विशेषताओं एवं स्वरूप का अध्ययन प्रायः सभी जीवन शास्त्री, मनोवैज्ञानिक, मनोविश्लेषक, समाजशास्त्री, शिक्षा शास्त्री तथा बाल चिकित्सक आदि करते हैं| मानव अभिवृद्धि की प्रकृति के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि बालक के शरीर और व्यवहार के प्रमुख आकार प्रकार में किस प्रकार का परिवर्तन घटित होता है| चुकी शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य बालक के व्यक्तित्व में प्रगतिशील परिवर्तन लाना है| अतः यह परिवर्तन वृद्धि की प्रकृति तथा अवधारणा के अनुरूप ही लाया जा सकता है|
बालक केवल शारीरिक रूप से ही नहीं बढ़ता है बल्कि उनके शरीर के आंतरिक अवयव के आकार एवं संरचना में भी बढ़ोतरी होती है तथा मस्तिष्क भी बढ़ता है| इसके संरचना और आकार में वृद्धि के परिणाम स्वरूप ही बालक में सीखने की, याद करने की तथा चिंतन करने की क्षमता का विकास होता है जिसे हम मानसिक विकास के नाम से जानते हैं|
Frank ( फ्रैंक ) के अनुसार: " अभिवृद्धि से तात्पर्य कोशिकाओं में होने वाली वृद्धि से होता है| जैसे लंबाई और भार में वृद्धि| जबकि विकास से तात्पर्य प्राणी में होने वाले संपूर्ण परिवर्तनों से होता है| "
Meridith ( मेरिदिथ ) के अनुसार: " कुछ लोग अभिवृद्धि का प्रयोग केवल आकार के वृद्धि के अर्थ में करते हैं और विकास का विशिष्टीकरण के अर्थ में| "
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