गज शब्द को संस्कृत में हिंदी के ' हाथी ' शब्द के लिए और अंग्रेजी में ' एलीफैंट ( elephant ) ' के लिए उपयोग में लाया जाता है।
गज शब्द अजन्त (अकारांत) पुल्लिंग संज्ञा शब्द है। सभी पुल्लिंग संज्ञाओ के रूप इसी प्रकार बनाते है। जैसे- देव, बालक, राम, वृक्ष, सुर, मानव, अश्व, दिवस, ब्राह्मण, छात्र, सूर्य, शिष्य, लोक, ईश्वर, नृप, कृष्ण, विद्यालय, ग्राम, तडाग, बाण, मृग, सर्प, शकट, दर्पण, दीप, छाग, कूप, चाप, चन्द्र आदि। कहीं - कहीं न् का ण् एवं स् का ष् हो जाता है।
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
गजः |
गजौ |
गजाः |
द्वितीया |
गजम् |
गजौ |
गजान् |
तृतीया |
गजेन |
गजाभ्याम् |
गजेभ्यः |
चतुर्थी |
गजाय |
गजाभ्याम् |
गजेभ्यः |
पंचमी |
गजात् / गजाद् |
गजाभ्याम् |
गजेभ्यः |
षष्ठी |
गजस्य |
गजयोः |
गजानाम् |
सप्तमी |
गजे |
गजयोः |
गजेषु |
सम्बोधन |
हे गज! |
हे गजौ! |
हे गजाः! |
विभक्ति |
एकवचन |
द्विवचन |
बहुवचन |
प्रथमा |
गजः (हाथी, हाथी ने) |
गजौ (दो हाथी, दो हाथियों ने) |
गजाः (अनेक हाथी, अनेक हाथियों ने) |
द्वितीया |
गजम् (हाथी को) |
गजौ (दो हाथियों को) |
गजान् (अनेक हाथियों को) |
तृतीया |
गजेन (हाथी से, हाथी के द्वारा) |
गजाभ्याम् (दो हाथियों से, दो हाथियों के द्वारा) |
गजेभ्यः (अनेक हाथियों से, अनेक हाथियों के द्वारा) |
चतुर्थी |
गजाय (हाथी के लिए, हाथी को) |
गजाभ्याम् (दो हाथियों के लिए, दो हाथियों को) |
गजेभ्यः (अनेक हाथियों के लिए, अनेक हाथियों को) |
पंचमी |
गजात् / गजाद् (हाथी से) |
गजाभ्याम् (दो हाथियों से) |
गजेभ्यः (अनेक हाथियों से) |
षष्ठी |
गजस्य (हाथी का, हाथी के, हाथी की) |
गजयोः (दो हाथियों का, दो हाथियों के, दो हाथियों की) |
गजानाम् (अनेक हाथियों का, अनेक हाथियों के, अनेक हाथियों की) |
सप्तमी |
गजे (हाथी में, हाथी पर) |
गजयोः (दो हाथियों में, दो हाथियों पर) |
गजेषु (अनेक हाथियों में, अनेक हाथियों पर) |
सम्बोधन |
हे गज! (हे हाथी!) |
हे गजौ! (हे दो हाथियों!) |
हे गजाः! (हे अनेक हाथियों!) |
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