शरीर के अन्दर श्वास के रूप में वायु का निश्श्वसन एवं उत्श्वसन (Inhalation and Exhalation) करने वाले तन्त्र ‘श्वसन-तन्त्र’ कहलाते हैं। इसके अन्तर्गत नाम, कण्ठ ; (Larynx) एपिग्लाटिस (Epiglotis) श्वास नली, श्वसनी और फेफड़े आते हैं। ये तन्त्र शरीर के भीतर मुख्यतया वायु-मार्ग का कार्य करते हैं।

इनमें- ‘एपिग्लाटिस’ (Epiglotis) भोजन निगलते समय श्वाॅस मार्ग को बन्द कर देता है। श्वास नली उपास्थि (Cartilage-लचीली हड्डीद्ध) की बनी होती है। फेफड़े ; (Lungs-फुफ्फुस) में रूधिर का शुद्धिकरण गैसों के आदान-प्रदान से होता है। गैसों का आदान-प्रदान वायु कूपिकाओं (Alveoli) के माध्यम से होता है। आॅक्सीजन कूपिकाओं से रक्त में तथा कार्बनडाईआॅक्साइड रक्त से कूपिकाओं में प्रवेश करता है। वयस्क मनुष्य के फेफड़ों में 30 से 40 करोड़ वायु कुप्पिकाएं होती हैं।

मनुष्य में दायां फेफड़ा तीन पिण्डों में तथा बायां फेफड़ा दो पिण्डों में विभाजित होता है।

कूपिकाओं में गैसीय आदान-प्रदान की क्रिया विसरण (Diffusion) के द्वारा होती है।

एम्फिसेमा (Emphycema) बिमारी का सम्बन्ध फेफड़ों से होता है। ये बिमारी अधिक सिगरेट पीने से होती है जिसमें फेफड़ों की कूपिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और गैसीय आदान-प्रदान की क्रिया प्रभावित होती हैं।

फेफड़ों की सुरक्षा हेतु इनके ऊपर प्ल्यूरा (Pleura) नामक झिल्ली का आवरण पाया जाता है।