धनतेरस में 'तेरस' का अर्थ समझने के लिए हमें इस त्योहार से जुड़ी परंपराओं और पौराणिक कथाओं को जानना जरूरी है।
'तेरस' का मतलब
धनतेरस शब्द में "तेरस" का अर्थ है त्रयोदशी तिथि। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह तिथि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) की तेरहवीं तिथि होती है। इस तिथि पर धनतेरस मनाया जाता है। त्योहार के नाम में "धन" का मतलब धन-संपत्ति से है। इसलिए, धनतेरस का अर्थ होता है धन की तेरहवीं तिथि या ऐसा दिन जब धन और समृद्धि का विशेष महत्व होता है।
धनतेरस का महत्व
इस दिन को धन और सेहत से जुड़ा माना जाता है। भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के देवता हैं, इसी तिथि को समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए, इस दिन को स्वास्थ्य, लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है।
परंपराएं और मान्यताएं
धनतेरस के दिन लोग अपने घर में सोना, चांदी, बर्तन जैसी नई चीजें खरीदते हैं। यह इस विश्वास से जुड़ा है कि नई चीजें लाने से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा बनी रहती है। साथ ही, इस दिन लोग दीप जलाते हैं, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहे।
धनतेरस का संदेश
धनतेरस का मतलब सिर्फ पैसों से नहीं है, बल्कि यह त्योहार हमें सिखाता है कि धन के साथ-साथ सेहत भी बहुत जरूरी है। अगर हम स्वस्थ हैं, तो हम सही तरीके से जीवन का आनंद ले सकते हैं। इसी वजह से इस दिन भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी दोनों की पूजा की जाती है।
क्यों जरूरी है 'तेरस' पर पूजा?
तेरहवीं तिथि का खास महत्व यह है कि इस दिन पूजा करने से वर्षभर घर में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे उपायों से घर में दरिद्रता दूर होती है और धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।
नतीजा
धनतेरस में 'तेरस' का मतलब सिर्फ एक तिथि नहीं है, बल्कि यह धन और समृद्धि की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह हमें सिखाता है कि धन और सेहत दोनों का संतुलन जरूरी है, ताकि हमारा जीवन सुखी और सफल हो सके।
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